विश्व पर्यावरण दिवस (environment day ) पर पढ़े शानदार काव्य रचना
Environment day यानी पर्यावरण दिवस का बहुत महत्व है । आजकल ह्रास होते पर्यावरण से मानव जन जीवन को परेशानी में डाल दिया है । अनेको बीमारियों से घेर लिया है । ऐसे में पर्यावरण को बचाना हमारा कर्तव्य है । इसी विषय पर आधारित पढ़िए चुनींदा लेखको की विशेष कविता -
1. पर्यावरण ( Environment )
आओ बचाएं हम पर्यावरण को ।
ना सूखने देंगे नदी धरण को ।।
होगा बचाना हरे-भरे जंगल ।
रोकेंगे प्रदूषण अकाली मरणको ।।१
आओ हम वसुंधरा को बचाएं ।
उसे और भी हरा भरा बनाएं ।।
यह धरती है माता हम सबकी ।
इसे ना हम कोई चोट पहुंचाए ।।२
यह हमें अन्न आबो हवा देती है ।
मौतसे बचाती दारू दवा देती है ।।
हम नहीं उजाडेंगे करते हैं प्राण ।
हमदर्द है सबकीखुशियां देती हैं ।।३
हम बर्बाद होंगे इसे उजाड़ कर ।
हरे-भरे छायादार वृक्ष काटकर ।।
हम उड़न पाएंगे परिंदोंकी तरह ।
हम खुद अपने परोंको छाटकर ।।४
हे निसर्ग तू बहुत सुंदर उदार है ।
मानवपर करता सदा उपकार है।।
रूप तेरा देखकर मनमें कवि के ।
होता कल्पनाओं का अविष्कार है ।।५।।
सुरेंद्र हरड़े कवि, नागपुर
Environment day in hindi.
2. पर्यावरण दिवस
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मत करो पेड़ पोधों पर वार।
वरना होगा जीना दुश्वार।।
कर चुके हो तुम साक्षात्कार।
जागो करो प्रकृति से प्यार।।
लगाओ अब तुम पेड़ अपार।
हो जीवन में खुशी भरमार।।
न हो ऑक्सीजन की हाहाकर।
न खोये कोई अपनोँ का प्यार।।
वृक्ष सम्पदा तरु लताएँ ।
शीतल शुद्ध समीर बहाएँ ।।
लगाएं पीपल वट मन्दार।
देवों का ये ओषधि भंडार।।
आओ करें श्रृंगार धरा का।
करके हम प्रयास जरा सा।।
आओ एक एक पेड़ लगायें ।
पर्यावरण दिवस को मनाये।।
अन्जनी अग्रवाल 'ओजस्वी'
कानपुर नगर उत्तरप्रदेश |
Environment day poems in hindi.
3. पर्यावरण चालीसा
एक दो तीन चार
आया सावन भादों का त्यौहार ।
पांच ,छ:, सात, आठ
कुछ वृक्ष लगाओ आज ।
नौ दस, ग्यारह, बारा
वृक्षों को न काटो दुबारा ।
तेरा, चौदह, पंद्रह, सोला
खेतों में उगा लो सोना ।
सत्रह, अठारह, उन्नीस, बीस
खेतों में डालो उन्नत बीज ।
इक्कीस, बाईस, तेइस,चौबीस
आम , नीम, पीपल, बरगद के बो दो बीज ।
पच्चीस, छब्बीस, सत्ताइस, अट्ठाइस
फलों की गुठलियां बो दो बीस ।
अट्ठाइस, उन्तीस, तीस, इक्तीस
आने वाली पीढ़ी को दो बकसीस ।
बत्तीस, तैंतीस, चौतीस , पैतीस
शुद्ध हवा खायें ,न दो डाक्टर को फीस ।
छत्तीस,सैंतीस, अडतीस,उनतालीस
जहरीली दवाई न छिडके जी ।
चालीस... पचास... साठ...
खेतों में दें गोबर की खाद ।
सत्तर... अस्सी... नब्बे... पूरे सौ
पानी न बहायें यों ।
लाख टके एक ही बात
पेड़ों के रक्षा की करो शुरुआत ।
जंगलों को बचा लो आज
पर्यावरण की रख लो लाज ।
अर्चना कटारे, शहडोल (म.प्र)
Poems in hindi
3. सुखद हवा का झोका
सुखद हवा का झोका
तन मन मे विश्राम पाता ।
बिना लिए कुछ दाम
अपनो मे बट जाता ।
सुखद हवा का झोका
तन मन मे विश्राम पाता ।
जिस घर मे आता
कृपा दृष्टि को पाता ।
सुखद हवा का झोका
तन मन मे विश्राम पाता ।
जीवन मे हो जब अनुराग
सकल सुखद को पाता ।
सुखद हवा का झोका
तन मन को विश्राम पाता ।
सोच समझ के करले काम
तब निज सुख को पाता ।
सुखद हवा का झोका
तन मन मे विश्राम पाता ।
(गोविंद सूचिक)
अ द ना सा
बहुत ही सुंदर रचना
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