मंजिल ( Manjil ) पर पढ़े शानदार गज़ले

मंजिल ( Manjil ) पर पढ़े शानदार गज़ले

 

Manjil par gazal

Manjil की तलाश हर किसी होती है पर हर किसी को समय पर या आसानी से नहीं मिलती है । बहुत मेहनत करनी पड़ती हैं तो चलिए जानते है मंजिल के बारे मे क्या कहते ग़ज़लकार -

1. ग़ज़ल
2122 2212 22

दौर  ए  गर्दिश में  आ  गए   होते 
तो   सनम  दिल पे छा  गए  होते ।

टूटे  दिल  को  सुकून मिल जाता
चार     आँसू    बहा   गए    होते ।

थोड़े  गम लेते  सुन  मेरे  साहिब
थोड़े   अपने    सुना   गए   होते ।

मेरी  तन्हाईयों  को  जाने जिगर 
साथ  अपना   दिला   गए  होते ।

कसम से   देख आपको  जानम
दुख     मिरे  मुस्करा  गये   होते ।

आपके    नर्म   नर्म   पहलू   में 
हम  तो  खुद को भुला गये होते ।

बुझती आँखों में तेज आ जाता 
राज मंजिल हम पा   गये  होते ।
ग़ज़लराज
दिल को छू लेने वाली शानदार कविता - प्रिय को निहारती
Manjil par gazal 
 2. मंजिल

चल मुसाफिर वहाँ, तेरी मंजिल हैं जहाँ
रुकना नही हार के, बढ़ते आगे जाना है।

परिश्रम करो खरी, दुनिया दुखो से भरी
पीछे मुड़ के न देख, आगे मंजिल पाना है।

जीवन एक संघर्ष, संसार मे हो उत्कर्ष
नेक कार्य मे हो रत, जीवन को बनाना है।

प्रेरित कर जन को, सुदृढ़ बना मन को
खुद लक्ष्य प्राप्त कर, जन आगे बढ़ाना है।

राह हो चाहे अनेक, सब की मंजिल एक
देश की सुरक्षा में ही हमे जान गवाना है।

लक्ष्य हो छोटी छोटी, इरादे हो बड़ी बड़ी
एक एक मंजिल पार कदम बढ़ाना है।

रामेश्वर शांडिल्य
Gazal kaise likhe 
 3. ग़ज़ल

फिर  ज़माने में  मुहब्बत की फ़िज़ा रौशन करें
नफ़रतें मिट जाएंगी बस इक दिया  रौशन करें।

ज़िंदगी खुशहाल हो वो सिलसिला रौशन करें
इक दिया बुझ जाए तो फिर दूसरा रौशन करें।

ज़ेरे लब रखकर  तबस्सुम रूबरू होते है हम
इतनी सी है  आरज़ू दिल आपका रौशन करें।

अपनी ख़ातिर तो दुआएं रोज़ ही करते है हम
दूसरों   के  काम  आए  वो  दुआ रौशन   करें।

झूठ के  आगे  सदाक़त  पस्त  होकर रह गई 
सच बयानी  कर सके  जो आईना रौशन करें।

इश्क़  की मंज़िल को पाने की तमन्ना है अगर
खार  पलकों  से  चुनें  और  रास्ता रौशन करें।

अब  लहू  पीने  लगा है  आदमी का आदमी
इससे तो बेहतर है क़ैसर मयकदा रौशन करें।

                         क़ैसर जौनपुरी

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