प्यार भरी कविता - प्रेम पिपासा । Hindi kavita on love
Hindisarijan में आप सभी का स्वागत है । दोस्तों आपके मन मे एक सवाल खड़ा होता होगा । प्यार क्या है ( What is love ? ) अगर इस प्रश्न के उत्तर की तलाश करते है तो प्रेम की परिभाषा देना बहुत मुश्किल है । क्योंकि भले प्रेम ढाई अक्षर का है मगर बहुत ही विस्तृत है । प्रेम एक मन का भाव है । एक दूसरे के प्रति लगन है । उनकी केअर करने की सोच है । प्रेम में सुख तभी मिलता है जब आपका प्रेम दैहिक न होकर ह्रदय से हो । कवि बाबूराम सिंह ने गहराई से प्रेम पर इन पंक्तियों के माध्यम से प्रकाश डाला है तो लीजिए पेश है - प्यार भरी कविता - प्रेम पिपासा । Hindi kavita on love -
प्रेमी पागल प्रेम में, जैसे जल बिन मीन ।
पिय मिलन में रे मना, पल - पल हो लवलीन ।।
प्रेम लगन ज्यों -ज्यों सदा, निज मन बढ़ता जाय ।
सुचि सदगुणसुख शान्तिसच, जीवनमें अधिकाय ।।
◆ पहले प्यार पर पढ़े शानदार कविता
पावन प्रेमी बन मना, हर औरन दुख ताप ।
सुफलबने जीवन जनम, कटेंसकल अभिशाप ।।
प्रीत - रीत में रे मना, नाहीं नेम दिवार ।
प्रियतम आगे जीत ना, लगे सुहावन हार ।।
प्रेम पिपासा रह मना, छोड़ लोक परयोग ।
लघु लगता सच प्यार में, त्याग तपस्या योग ।।
पंगु मनुज पामर पतित, प्रेम पंथ अपनाय ।
प्रेमी अपनी प्रिया को, पल में चाहे पाय ।।
पिया मिलन हो प्रेम सुख, मनवा बेपरवाह ।
पाप पुण्य गुण दोष का, कहीं न लागे थाह ।।
पीडा़ भी सुचि प्रेम में, लगे सुखद अनमोल ।
व्याकुल पिय व्दारेखडे़, अन्तः पट झट खोल ।।
परम अनूठा प्रेम का, सभी जगह पइसार ।
भक्ति भक्त भगवान को, भावत है सच प्यार ।।
प्रेमातुर बिन मांग ही, मन चाहा पा जाय ।
विषय ना वाणी का यह, भावों में प्रगटाय ।।
मित्रो अब सवाल ये उठता है कि प्यार किससे करना चाहिए या Pyar kaise kare ? जबाब में हर इंसान सोचने लगता है । बाबूराम सिंह कवि ने अपनी काव्य पंक्तियों में बताया कि प्रेम ह्रदय की ज्वाला है । इनकी शुरुआत अपनी आत्मा से करें । ईश से करें । मतलब साफ है सबसे पहले आत्म प्रेम ( Self love ) करे । दुसरो के ह्रदय में झांकने से पहले खुद से पूछे । अपनी आत्मा से पूछे । फिर दुसरो से प्यार करें । तो चलिए पेश है । prem pipasa - भाग-02
Pyar bhari kavita in hindi.
प्रेम हरि बिन और कहीं, चट अनहोनी होय ।
प्रेमड़गर अति सूक्ष्म है, जिस पर चले न दोय ।।
अग-जग इस ब्रह्मांड में, प्रेम मिलन ही सार ।
सूना है सब प्रेम के, कुछ भी ना आधार ।।
◆ लाइफ क्या है । पढ़े शानदार कविता - जिंदगी एक सफर
सोच समझ कर रे मना, ईश-प्रेम पग धार ।
लिए हृदय में प्रेमाग्नि, हरि हर समय पुकार ।।
सर्वोपरि है प्रेम पथ, इसका आदि न अंत ।
सर्व सम्मत सुप्रीत से, मिले सहज ही कंत ।।
प्रबल प्रेम से संचरे, भक्ति शक्ति प्रवाह ।
गुणागार ही प्रेम समुद्र, कोउ न पावे थाह ।।
पिया मिलन के बाद फिर, ना कुछ पाना शेष ।
पीकर प्रेम पीयूष तो, बन जा अभय अशेष ।।
प्रेम कटारी धार का, प्रेम अटल विश्वास ।
प्रेमप्लावित परमात्मा, चलत प्रेम ही स्वांस ।।
प्रेम सु-उपमा प्रेम है, परिभाषा भी प्रेम ।
अलंकार भी प्रेम का, जान मना बस प्रेम ।।
प्रेमी प्रेम प्रेमाष्पद, होता नहीं बखान ।
अलग विलग कुछभी नहीं, तीनों सदा समान ।
पावन परम पुनीत है, प्रेम प्रभु का धाम ।
प्रेम प्यासा पहुँचेगा, सच कवि बाबूराम ।।
Prem par kavita in hindi.
मित्रों तीसरा सबसे अहम सवाल यह है कि प्यार की शुरुआत कैसे करें ? या यूँ कहे कि कैसे पता करें कि कोई हम से प्यार करता है ? इन सवालों के जबाब में लोकप्रिय कवि बाबूराम सिंह ने अच्छे से प्रकाश डाला है । प्यार की शुरुआत अपने परिवार से करें । अपने माता पिता, अपने कुटुंब से करें । यदि आप इनका दिल न जीत पाये तो किसी का नहीं जीत सकते है । तो चलिए पेश प्रेम पिपासा भाग - 03
प्यार करो माँ- बाप से, बन सेवा शिर मौर ।
यहीं मार्ग उत्कर्ष का, भटक न दूजा ठौर ।।
रोग, शोक हरता सभी, जग में पावन प्यार ।
यहीं शुध्द करता सदा, वाणी बुध्दि विचार ।।
प्यारबिना सम्भव कहाँ, शान्ति सुख अनमोल ।
नेक नियत उदार मना, मृदुवाणी सच बोल ।।
प्यार सरस पूजा जग में, और न दूजा कोय।
प्यार पथ में आगे बढो़, पावन पूजा होय ।।
मुक्ति मोक्ष सुमंत्र यहीं, यही जगत का सार ।
प्यारबिन नर पशु सम है, बनअवनी का भार ।
पारसमणी कल्पवृक्ष है, प्यार जगत में जान ।
इसमें, ही बसते सदा, दया नीधि भगवान ।।
आलस, कायरता मना,भय का भूत निकाल ।
प्रेम राह राही बनो, संकट टले विशाल ।।
सुख-दुख आवत जात है, इससे बचा न कोय ।
प्यार करो हरि से सदा, हरि भज हरि का होय ।।
बृथा नर्क मत मोल ले, समय अभी है सोच ।
प्यार राह पर ही सदा, मन को अपने मोच ।।
प्यार सार विचार मना, सरस सकल संसार ।
इससे ही मिलता सदा, मानव का अधिकार ।।
मित्रो यदि आपको Hindi kavita on love अच्छी लगी हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हौसला अफजाई करें ।
बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ, विजयीपुर, गोपालगंज (बिहार)