लाइफ क्या है पढ़े शानदार कविता - जिंदगी एक सफर
Hindisarijan पर आपका स्वागत है । लीजिए पेश है कविता - जिंदगी एक सफर ....
जिंदगी हैं एक सफर सुहाना ।
जिंदगी हैं एक अफसाना ।
हर मोड़ पर मिलता एक तराना,
कल क्या होगा, किसने जाना ।
कभी मिलती खुशियां तो कभी गम,
कभी सुलझी सी, कभी बढ़ी उलझन ।
कभी खिलते बहारों के चमन
कभी उजड़ जाता गुलिस्तां के गुल ।
◆ पहले प्यार पर शानदार कविता - वो पहला प्यार
कभी हंसा कर रुला जाती
कभी रुला कर हंसा जाती ।
कभी बन कर एक पहेली
लिख जाती एक नई कहानी ।
जिसने चलना सीख लिया
मंजिल उसने अपनी पा लिया ।
कभी संकरी सी डगर जैसी
कभी चौराहे की भरमार ले आती ।
जिंदगी का आखिरी स्टेशन कहा होगा
ये भला अब तक किसने जाना ।
◆ दिल को छू लेने वाली कविता - प्रिय को निहारती
जिंदगी के सफर का मुसाफिर हूँ
आशाओं, तमन्नाओं का सरफिरा हूँ ।
जिंदगी की बनती बिगड़ती फिज़ाओ का
लिखता इतिहास सिपाही हूँ कलम का ।
टूटते तराने, उजड़ते आशियाने
प्रफुल्लित लम्हों ने, खिलते लबो ने ।
जिंदगी से सीखा दुनियादारी के प्रपंच
अपनों से सीख लिया खेलना दांवपेंच ।
Best poem on life in hindi ?
कभी रूठ गये, कभी टूट गये
कभी गिरे तो गिरकर संभल गये ।
गिरने संभलने का चलता सिलसिला
जिंदगी के गुर्रो से सीखा तजुर्बा ।
जिंदगी के हर मोड़ ने दी नई अभिलाषा
जिंदगी हैं एक सफर सुहाना ।
पिता ने रखी परिवार की आधारशिला
तब से शुरू हुआ जिंदगी का तराना ।
मिला एक शरीर, एक आत्मा,
एक आशियाना, एक अफसाना ।
न कोई जात थी, न कोई मजहब था,
एक नासमझ, एक अबोध बालक था ।
पिता से सम्पन्न हुआ नामकरण संस्कार,
जिंदगी में मिला एक नाम, एक पहचान ।
स्नेहधारी हैं वो, वटवृक्ष की छांव जैसा
भरण पोषण करने वाला विधाता ।
उनका छत्रछाया हैं सबसे निराली
पिता के बिना जिंदगी हैं अधूरी ।
पिता के प्रताप से हुए निहाल
अबोध बालक को मिला एक जहान ।
पिता पोषक हैं तो माँ पालनहार हैं
मात पिता ही जिंदगी तारणहार हैं ।
पिता से मिला दुल्हार,
तो माँ की ममता अपार ।
मूरत हैं वो, भोली सूरत जिनकी
करुणामयी हैं वो, सहूलियत प्यारी जिनकी
माँ संसार मे स्वर्ग सा एहसास कराती
ममता की छांव में जिंदगी निखर जाती ।
माँ स्वयं कष्ट सहकर कष्टो से बचाती,
शिक्षिका बन माँ सच्ची राह दिखाती ।
उंगली पकड़कर चलना सिखाया जिसने
जिंदगी की तेज धूप से बचाया जिसने ।
माँ से रूप मिला, पिता से पहचान
जिंदगी दी जिन्होंने, उनको हैं नमन ।
मात पिता ने लुटाया स्नेह ढेर सारा
बन गया जिससे बचपन निराला ।
भरे चार कदम कि वो मिल गई ।
थी माँ की परछाई, वो बहना मेरी ।
आँगन में खुशियां ही खुशियां छाई
जब गूंजी बहना की किलकारी ।
साथ पले, साथ बढ़े चले जिसके
पुलकित क्षण लगते त्यौहार जैसे ।
था जिंदगी का पहला रिश्ता प्यारा
पाकर जिसे मन ही मन हर्षाया ।
जीवन भर रक्षा की मिली जिम्मेदारी
जब बहना ने कलाई पर सजाई राखी ।
सुसंस्कारों से सृजित परिवार पाया
जिंदगी हैं एक सफर सुहाना ।
जिंदगी की डगर हैं अब निराली
चली पड़ी है अब खिलखिलाती ।
न गम पहरा, न खुशी का ठिकाना हैं
चंचल, अटखेलियां, बस रूहानी अदा हैं ।
हाथ मे कलम हैं कंधे पर बस्ता हैं
जिंदगी गुर सिखने चली वो शाला हैं ।
गुरुजी का ज्ञान है, शिक्षक का डंडा हैं
हुआ है हिय में आखर ज्ञान का उजाला ।
न भय है, न प्रीत किसी से, बस हँसते रहो
अनुराग से भरा बचपन, सदा खिलते रहो ।
खुशियों के लम्हें, खुशी से जीयो
न काठ क्रोध, न लोभ प्रलोभ से रहो ।
जीवन मे बाल रूप है परमात्मा का
खुलते पुष्पो की तरह, हैं सबके याराना ।
मात पिता करते हैं हर ख्वाहिश पूरी
बिन मात पिता जिंदगी हैं अधूरी ।
मौज मस्ती का हैं ये सफर सुहाना
कल क्या होगा ये भला किसने जाना ।
Life changing poem in hindi
भाग 2
हसीन कली थी वो बहुत प्यारी
जाने वो मुझसे क्यो शरमा गई ।
लगती जैसे आसमां से आई परी
जाने वो मुझे क्यो लुभा गई ।
जैसे कि तरुणाई ने ली अंगड़ाई
जिंदगी में रुत प्रीत की हैं आई ।
जिंदगी में हम किस मोड़ पर आ गये
छलक रहा यौवन, प्रीत मन को लुभाये ।
प्रीत मन को लगती हैं प्यारी
प्रीत ही जिंदगी की सच्ची यारी ।
प्रीत प्रेयसी बन गये, ले ख़्वाब प्यारे
इक हमसफ़र चाहिए जिंदगी के लिए ।
चले साथ - साथ बस जिंदगी के लिए
रहे ठाठ - बांट बस जिंदगी के लिए ।
बाँट ले जो जिंदगी में तन्हा लम्हें
न गिले शिकवा रहे जिंदगी के लिए ।
ढूंढता हूँ प्यार भरे वो नगमे
मिले कोई हमसफ़र जिंदगी के लिए ।
खता भी हो, रज़ा भी हो, सज़ा भी
खुशियों का सावन हो जिंदगी के लिए
रिश्तों के जहान में इक हसी जहान हो
विपदा कैसी भी आये बस हरदम साथ हो ।
गगन में चमकते सितारों का चाँद हो
जिंदगी में सर्वगूणी साथी का साथ हो ।
ख्वाबों ख्यालो में डूबी जिंदगी नासमझ थी
चली हमसफ़र के लिए, ये दिल की बात थी ।
सैकड़ों जन की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ,
जिंदगी की पहली खुशी विवाह संस्कार था ।
खूब मिली खुशियां, ढेर सारे उपहार, आशीर्वाद
जीवन मे मन प्रसन्न हुआ, दिल हुआ बाग बाग ।
विवाह समझौता नहीं, हैं जिम्मेदारी का एहसास,
गृहस्थी शुरू हो जाती, बढ़ जाता हैं मोह जाल ।
समाज सम्बन्धों का जाल हैं जकड़ जाती जिंदगी
निभा गए तो जिंदगी नहीं तो बन जाती बंदगी ।
रिश्ते तो कच्चे धागे जैसे, खिंचाव सह नहीं पाते
मान - मर्यादा एवं अनुराग से निभा पाते ।
अनुराग भरा जिस जीवन में, पढ़ते प्यार पाती
पल पुलकित हो, खुशियां रिश्तों की लुटाती ।
रिश्ते खास होते हैं, हरदम पास होते हैं
खुशी गम के नुमाइंदे, जिंदगी की शान होते ।
जिंदगी तुम रिश्तों की फिदरत को समझो
कदर करो तुम, हर हाल में निभाने की ठान लो ।
बिन रिश्तों जिंदगी की खुशियां अधूरी
न सुख चैन, न खिलेगी लबो की लाली ।
खेल रिश्तों का कोई समझ न पाया
जिंदगी ही बन गई रिश्तों की पाठशाला । क्रमश .....
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✍ एल आर सेजु थोब 'प्रिंस'