Father's day poem, पिता दिवस पर शानदार कविताएं

Father's day poem, पिता दिवस पर शानदार कविताएं

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Hindisarijan में आप सभी का स्वागत है । Father's day पर हम लेकर आये है देशभर के चुनींदा लेखको की शानदार कविताएं Father's day poem in hindi. यदि आप और अधिक कविताएं पढ़ना चाहते है तो इस लिंक पर क्लिक करके काव्य संकलन ( Pita ) पढ़ सकते है । तो चलिए पेश है - Father's day poem in hindi -

 पिता जीत का दूजा नाम

पिता  एक  उम्मीद  भरी  सुबह हैं

रातो में जो  चमके  वो  सितारा हैं ।

उनके  साये में  ही वजूद हमारा हैं

संघर्ष  का वो  खुद ही  मिशाल हैं।

कभी  न जो  थके  ऐसा  इंसान हैं

खरीद कर हर खुशियां जो देता हैं ।

दुख  कभी  जाहिर  नहीं करता हैं

कड़ी  धूप  में  शीतल  एहसास हैं।

परिवार का एक मजबूत  दीवार हैं

आँगन   का   महकता  बागबान हैं ।

माँ  की  चूड़ी बिंदी और  पायल हैं

मजबूती  के  का  वो ही आधार हैं।

करते नहीं   कभी  कहीं विश्राम हैं

मेहनत  करने से पीछे हटते नहीं हैं ।

गहरे जख्म  में प्यार भरी मरहम हैं

रखते खुद में  हिम्मत  बेमिसाल हैं।

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दफ़न  करते अपने  हर अरमान हैं

जिम्मेदारी   का   करते  निर्वहन हैं ।

रेगिस्तान  में   जैसे वो मीठे जल हैं

सुना हर  लम्हा  होता उनके बिन हैं।

अतीत  कभी  तो  वो ही वर्तमान हैं

देते हमें  एक  सुखद  सा भविष्य हैं ।

ऊपर  से  सख़्त   पर  नरम  दिल हैं

करते न्यौछावर  अपना  सबकुछ हैं।

रखते होंठो  पर  सदा ही मुस्कान हैं

मन  मे  चाहें   कितने  भी तूफ़ान हैं ।

हौसलों को   एक देते नया उड़ान हैं

हारते नहीं जीत का ही दूजा नाम हैं।।

           सरोज कंसारी नवापारा राजिम, छ.ग.


 Pita par Rola Chhand in hindi

1.

सिर पर रखकर हाथ,  साथ पग पग पर देते।

पापा     पालनहार,  दुखों  को  वो  हर  लेते।

पापा  उँगली थाम,  सही  राह  पर  ले  जाते।

सच्चे    खेवनहार,  घोड़ा    बनकर    घुमाते।

2.

गरमी  में  जो  छांव,  धूप लगते  सरदी में।

सागर में  जो नाव,  लगे  फौजी  वरदी में।

दुख में थामे हाथ,  साथ हर हाल निभाते।

पापा  पालनहार,  प्यार  ही  प्यार  लुटाते।

3.

 माता    जीवनदायिनी,  पिता    देत    आधार।

दोनों के  आशीष  से,  सुखमय   हो   परिवार।

सुखमय हो परिवार,  अपार खुशी  मिलती है।

मिले पिता का संग,  तभी कलियां खिलती है। 

पापा     पालनहार,  असल के  यही  विधाता।

ममता   का  आगार,  हमारी     होती    माता।

                                         भूपसिंह 'भारती'

 

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 मनहरण घनाक्षरी छंद in hindi

पिता गुरु भगवान, पिता रुप आसमान।

पिता ही पालनहार, पिता को प्रणाम है।।

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पिता की विराट माया, जैसे वृक्ष देता छाया।

पिता सार बनकर, रखते लगाम है।।

गलती दरुण बने, खलती करुण बने।

पिता कुरुप होकर, पिता अभिराम है।।

गिरने पर हाथ दे, चलने पर साथ दे।

सदा सर हाथ यश, पिता को सलाम है।।

          यशवंत"यश"सूर्यवंशी, भिलाई दुर्ग छग


Pita par kavita in hindi

पिता आधार जीवन का 

रहता सदैव  व्रज समान।

कुटुंब के पोषण हेतु कर देता

निज अभिलाषा का त्याग ।

टूटता रहता टूक टूक हृदय उसका

बच्चों पर न आने देता आंच।

दिन रैन एककर करता कर्म योग 

बच्चों को संवारने में फटती चप्पल अनेक ।

कर्ज रहता सिर उसके अनेका- नेक

नम न करता आंखें कभी, चाहे फटी हो जेब।

पिता पूजक है देवतुल्य

मूक छवि में नायक नेक ।

                                          हेमलता गोलछा


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 पिता को समर्पित kavita in hindi

सागर से भी गहरा है, मेरे पिता का मन,

विस्तार इतना है, जैसे फैला हो गगन।

कडी-धुप में, संघर्षो की गाथा रचाई ,

मुठ्ठी भर छाँव ही कहीं किस्मत मे आई ।

जीवन की जटिलता को सहज अपनाएँ

आर्दशो की ऊँची कसौटी को सजाएँ।

भौतिक जीवन की मृग-तृष्णा से पृथक

निरंकार की ज्योत जलाकर अथक।

जीवन की मरू मृग-मरिचिका से दूर,

आत्म-ज्योत की ऊर्जा से भरपूर ।

सदा-जीवन, प्रभु प्रेम-भक्ति से पूर्ण,

समपर्ण कर दिया जीवन सम्पू्र्ण ।

पिता ही मंदिर, पिता मन की मूरत है

भू-लोक में ही साक्षात, ईश की सूरत है ।

                                हेमा पालीवाल उदयपुर


 Pita par dohe in hindi.

पिता ज्ञान की खान है, अनुशासन की डोर ।

इनसे ही उत्थान है, उज्ज्वल होती भोर ।

पिता नेह सागर सदा, इस का ओर न छोर ।

पिता प्रेम मिल जाय तो नाचे मन का मोर ।।

पालन पोषण के लिये जोखिम पिता उठाय ।

भीतर भीतर टूटकर बाहर ये मुस्काय ।

चन्दा जैसी शान्ति है, भानु जैसा ताप।

पिता अगर आशीष दें, फैले जग प्रताप।।

कभी प्रेम की बारिशें, कभी सुहानी धूप।

पिता अगर हों साथ तो, खिलता बालक रूप।।

नमन करूं मैं बाऊजी, है तुमसे अस्तित्व ।

चले गये परलोक पर, जीवित है व्यक्तित्व ।

                                          सुषमा भंडारी 

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