Diwali par poem in hindi | दीपावली पर कविता । दिवाली 2021

Diwali par poem in hindi | दीपावली पर कविता । दिवाली 2021


Diwali par poem in hindi.


Diwali par poem in hindi | दीपावली का पर्व प्रतिवर्ष हर्ष उल्लास से मनाया है । यह हिंदुओ का प्रमुख त्यौहारों में से एक है । यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है । इस पर्व पर कई गीतों, गज़लों, शेरो शायरियो एवं गज़लों में कवियों ने बढ़ चढ़ कर लिखा है तो चलिए जानते है दीवाली पर ग़ज़ल in hindi -

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सच्ची वही दिवाली हो 

सच्ची वही दिवाली होगी,
घर घर जब खुशहाली  होगी ।

जिस दिन फिर पूजा की थाली,
नहीं किसी की खाली होगी ।

जिस दिन निर्धन के चहरे पर,
सिर्फ खुशी  की  लाली होगी ।

जिस दिन दीन हीन के घर में,
सजी धजी घर वाली होगी ।

जिस दिन गांवों की गलियों में,
सुंदर सड़कें नाली होगी ।

उस दिन सही दिवाली होगी,
घर घर जब खुशहाली होगी ।


दर्द में भी मुस्कराना चाहिए


दर्द में भी मुस्कुराना चाहिए, 
ये हुनर हमको भी आना चाहिए ।।

ज़िंदगी में हो मयस्सर रोशनी,
हाथ पर सूरज उगाना चाहिए ।।

नफरतों के इस सियासी दौर में,
दिल को हिंदुस्तां बनाना चाहिए ।।

दूर होकर पास रहने का हुनर,
हम सभी को आजआना चाहिए ।।

रूबरू हो दुश्मनों से आप जब,
फूल दर्पण भूल जाना चाहिए ।।

ज़िंदगी हमने बना ली संग सी,
ज़िंदगी दर्पण बनाना चाहिए ।।


Deepawali par gazal in hindi.


Deepawali par gazal in hindi.



शब्दों की छाती फटती है

पत्थर को कटते देखा है जल की कोमल धारों से।
हम भी दुश्मन को जीतेगें बस अपने मनुहारों से।।

शब्दों की छाती फटती है इस पीड़ा को कहने में,
मानवता पीड़ित है इतनी मानव के व्यवहारों से।।

किससे अंतर सत्य कहे हम किसे दिखाएं मन दर्पण,
देश को कुछ जन तोड़ रहे हैं अपने कलुषित नारों से।।

जब जब कष्ट बड़ा धरती पर शोषण अत्याचारों का,
तब तब सृजित हुई है धरती नये नये अवतारों से।।

कैसे घृणा से तुम जीतोगे दुश्मन को बतलाओ फिर,
हम दुश्मन को जीत न पाये जब, अपने उपकारों से।।

वो दुश्मन
हमको दुश्मन वो नज़र आते हैं,
लाश दरिया में जो बहाते हैं ।। 

आइना और को दिखाते हैं,
अपनी औकात भूल जाते हैं ।।

एक ज़ालिम सा जु़ल्म ढाते हैं,
फूल खुद को मगर बताते हैं ।।

उनको हम राहबर कहें कैसे,
आदमी खूं से जो नहाते हैं ।।

याद रखते हैं लोग बस उनको,
भंवर से नाव जो बचाते हैं ।।

हम,उन्हे बे झिझक कहें दुश्मन,
बुग़्ज़ बच्चों को जो सिखाते है ।।

देख मजदूर के लहू से ही, 
सब भवन आज जगमगाते हैं ।।


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