Ojasvi kavita । Desh ki mitti । देश भक्ति कविता

Ojasvi kavita । Desh ki mitti । देश भक्ति कविता 

 

Ojasvi kavita । Desh ki mitti.


Hindisarijan में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है । दोस्तों आज की कड़ी में Ojasvi kavita । Desh ki mitti । देश भक्ति कविता लेकर उपस्थित हुए है । मित्रों राष्ट्रीय एकता ( National unity ) एवं खुद की सुरक्षा करना हमारा परम् कर्तव्य है । कुछ ऐसा ही ताना बाना बुना है लोकप्रिय कवि बाबूराम सिंह ने तो चलिए पेश करते है - Ojasvi kavita । Desh ki mitti । देश भक्ति कविता  -


मातृभूमि कण-कण पावन पूज्य अनूठा प्यारा है ।
सर्वोपरि है भारत भूमि  सकल विश्व से न्यारा है ।

दिव्य   मनोरम   मातृभूमि   है  सुखद  सलोना ।
स्वर्ग  से  न्यारा अतिशय प्यारा  है कोना-कोना ।
वरदायी  मिट्टी  भी  है  अउव्वल  खांटी  सोना ।
पद  रज पावन  चंदन है इसे कदापि  न  खोना ।

इसीपर पावन गंगा, यमुना, सरस्वती की धारा है ।
सर्वोपरि है भारत भूमि सकल विश्व से  न्यारा है ।

गरिमा महिमा मातृ भूमि  की  अपरम्पार  सदा ।
अनेकों श्रीहरि का हुआ यही पर अवतार  सदा ।
देन इसी की सभ्यता, संस्कृति सुचि विचार सदा ।
कोटिक जन आभासे इसकी होते भवपार सदा ।

विश्वकल्याण आदि से विश्वगुरु ने ही संवारा है ।
सर्वोपरि है भारत भूमि सकल विश्व से न्यारा है ।

सत्य, अहिंसा क्षमा, दया का अदभुत श्रोत यही ।
सेवा, प्यार, परहित, परमार्थ  भी ओत प्रोत यही ।
भक्ति भाव भजन तप का दिव्यतम ज्योत यही ।
अमरत्व, वीरत्व, मोक्ष  पद को  पाता मौत यही ।

मातृभूमि ममत्व सत्य का अदभुत अहा नजारा है ।
सर्वोपरि है भारत भूमि सकल विश्व से  न्यारा है  ।

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Desh bhakti kavita in hindi


Desh bhakti kavita in hindi.


  राष्टीॅय एकता ( National unity )

राष्टीॅय  एकता  में  अतुल  अथाह बल,
सभी  प्रश्नों  का  हल इसी में समाया है ।
प्रगति, उत्थान, उत्कर्ष, हर्ष  दाता यह,
विश्व  बन्धुत्व  का  अनुप  दृढ़ पाया  है ।
अभय अडिगता में अटल सहायक  भी,
मर्म  मानव  धर्म   समानकता काया  है ।
आदिसे अनेकता में एकता जो लाया सदा,
वही 'कवि बाबूराम' शान्ति सुख पाया  है ।

जन-जन  हो जागरुक  जुट यतन बिच,
राष्टीॅय   एकता  को   अक्षुण्ण बनाइये।
जातिवाद का आग लेगा आज  पात-पात,
भाईचारा  एकता  के  जल  से बुझाइये ।
अमन चैन  अनूठा आबाद हो आपस में,
जिये - मरे  सच्चे  धर्म बिच  सब  आइये।
भव्यतम  भारत भरोस  बल  जागे फिर ,
"कवि  बाबूराम "कुछ  कर दिखला दिये ।

देश  को तबाह  कर करते जो वाह-वाह,
खुद  ही  विचार  करें  कैसै  वह लोग  हैं ।
देश  प्रगति  को इतिहास खास सर्वदा से,
एकता  सुप्यार  आपस  का सहयोग  है ।
जागो युवाओं नेता कवि लेखक पत्रकार,
एकता  अनोखा  शुभ  स्वर्णिम सुयोग है।
राष्टीॅयएकता बिन''कवि बाबूराम " कभी,
मिट नहीं  सकता जो भी राष्टीॅय रोग  है।

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Desh bhakti shayari in hindi.


Desh bhakti shayari in hindi.

 स्वयं की रक्षा देश सुरक्षा 

घूसखोर  सिरमौर   है, जनता  है लाचार ।  
शिक्षा तक मुश्किल हुई, जीना भी बेजार ।।
दिन-दिन बढ़ती जा रही, मंहगाई की मार ।
दिग्विजयी  झूठे  हुए, सत  की  होती हार ।।

धर्म-कर्म  कैसे  बचें, मानवता शुभ प्यार ।
माली  बाग   उजाड़ता, डोली  हरे कहार ।।
कई  विदेशी  कम्पनी ,पाँव  रही फैलाय ।
जेबों  में भरने  लगी, भारत माँ की आय ।।

आज विदेशी भी  यहाँ, निज पग रहे पसार ।
अबलायें निज लाजहित, करती रोज पुकार ।।
जिसको   देखो   गा  रहा, अंग्रेजी  के गीत ।
हिन्दी भाषा  राष्ट्र  की, नहीं किसी को प्रीति ।।

अंग्रेजी   की   बाढ़   है, भारत  में बरिआर ।
हिन्दी हित पर ना  करे, कोई आज विचार ।।
सभीको देसुख सम्पति, जगकल्याणी गाय ।
गौ पालन सेवा  बिना, न  सुखदायी उपाय ।।

जिसको  माँ  कह  कर  सभी, देते  हैं सम्मान ।
वही    गाय    कटती   यहां, कैसा हिन्दुस्तान ।।
यश लिप्साहित छल कपट, स्वार्थरत सबकोय ।
बेच  रहे  निज अमन  सब, कैसे  चलना होय ।।

स्वार्थरथ   में   बैठ  कर, देते  जग  को कष्ट ।
जिस शाखा  पर  हैं  चढे़, करें  उसी को नष्ट ।।
निज मन को माने सभी, अपना आपा खोय ।
सुख की ही आशा करें, दुख  के बिरवा बोय ।।

संस्कृति की क्षति हो रही, गयी सभ्यता स्वर्ग ।
अब  तो  हावी  हो  रहा, हम पर पश्चिम वर्ग ।।
विश्वगुरू  के  नाम  से, था  जग में विख्यात ।
वहीं  शिष्य  बन  मांगता, पश्चिम  से सौगात ।।

गत गौरव के प्राप्ति हित, करें प्रयत्न विशेष ।
पाये  हर  पल  आपदा, अपना  भारत देश ।।
आओ मिल गायें सभी, देश भक्ति  का गान ।
देश   क्लेष   के  सामने, हो   जायें कुर्बान ।।

राष्ट्र  धर्म  भूलें  नहीं, करे न अनुचित काम ।
प्रगति देश की हो तभी, सभी करें निज काम ।।
पहले सोचें देश हित, फिर निज  करें विचार ।
आपसी सहयोग से, सब कुछ  होय सुधार ।।

जन  मानस  निर्मल  बने, बढे़  प्रेम सद्भाव ।
दुश्मन  भी आदर  करें, ऐसा  बने स्वभाव ।।
निज सुधार जन-जन करें, धरें धर्म पर पांव ।
आओ  बाबूराम  कवि, देकर  सत्य सुझाव ।।

◆◆◆◆ जय हिंद ◆◆◆◆ जय हिंद ◆◆◆◆

उम्मीद करते हैं आज की कविता - Ojasvi kavita । Desh ki mitti । देश भक्ति कविता । आपको जरूर पसंद आई होगी । कमेंट बॉक्स में जय हिंद लिखना न भूलें ।। बाबूराम सिंह कवि ।।

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