सावन पर कविता । Sawan ki teej par status in hindi.
Hindisarijan में आपका बहुत बहुत स्वागत है । सबसे पहले Happy Teej सावन की तीज की बहुत बहुत बधाई । साथियों Sawan का पूरा महीना भक्तिभाव का महीना है । इसी महीने Teej एक बड़ा पर्व है सुहागिनों का त्यौहार है । तो आज की कड़ी में भूप सिंह भारती द्वारा रचित इस महीने यानी सावन पर कविता । sawan ki teej par status in hindi. लेकर उपस्थित हुए है तो चलिए पेश करते है - sawan par kavita -
चाली परवा पौन या, ल्यावै बादळ घेर ।
अम्बर छावै बादळी, चोखी बरसै फेर ।
चोखी बरसै फेर, टेर या कोयल ल्यावै ।
प्यासा चातक खूब, आपणी तीस बुझावै ।
चढ़ी पींग पै देख, नार मचकै नखराळी ।
सासु का नाक तोड़, ल्यावती चम्भो चाळी ।
न्यारी म्हारी कोथली, न्यारे इसके रंग ।
भुआ भाण कै सासरै, उड़ै प्यार के रंग ।
उड़ै प्यार के रंग, खुलै कोथलिया झारा ।
बंटै घरां म्ह खूब, पतासा शक्करपारा ।
कहै 'भारती' शान, बढ़ै बेटी की म्हारी ।
सासरिया म्ह जाय, कोथली म्हारी न्यारी ।
घर आंगण सुंदर लगै, जब हो कती क्लीन ।
लुक हो इको फ्रेंडली, ग्रीन ग्रीन सा सीन ।
ग्रीन ग्रीन सा सीन, तीज तुहार ही ल्यावै ।
बणै जगत खुशहाल, झड़ी म्ह पेड़ लगावै ।
कहे 'भारती' फेर, झुमकै आवै सावन ।
पर्यावरण संरक्षण, तीज सन्देशा पावन ।
Hariyali teej poem in hindi.
आवै जब जब तीज का, पावन यो त्योहार ।
ओढ़ पहर कै औरतें, खूब करै सिंगार ।
करै खूब सिंगार, हाथ म्ह हिना रचावै ।
नई पहर कै तीळ, तीज खेलण नै जावै ।
कहै 'भारती' पींग, ठाठ तै ये मचकावै ।
करै बरत उपवास, तीज तुहार जब आवै ।
न्यारी म्हारी रीत सै, न्यारे तीज तुहार ।
ये निराले तुहार तो, खूब बढ़ावै प्यार ।
खूब बढ़ावै प्यार, ख्वार ये मेटै सारा ।
ये फैलावै प्रेम, देस म्ह भाईचारा ।
कहै भारती देख, संस्कृति न्यारी म्हारी ।
म्हारे तीज तुहार, फैलावै खुश्बू न्यारी ।
कड़ कड़ करकै बीजळी, गई गगन म्ह कूंद ।
गड़ गड़ गरजी बादळी, झिरमिर टपकै बूंद ।
झिरमिर टपकै बूंद, पपीहा प्यास बुझाई ।
दादुर कोयल मोर, गजब की टेर लगाई ।
कहै 'भारती' मेघ, खूब बरसे जी भरकै ।
करै या लपलपाट, बीजली कड़ कड़ करकै ।
काली काली घटा घुटी, चौगरदे छाई हरियाली ।
नन्ही-नन्ही बून्द पड़ै, साम्मण की शान निराली ।
साम्मण की झूल घली, आयो तीज को त्योहार ।
दे दे झोटा झूलण लागी, सारी गावै गीत मल्हार ।
भाण भूवा अर बेटियां की, कर लणिहारी ल्यावै ।
सिंधारा कोथली की रीत, म्हारी संस्कृति बतावै ।
झूल घलै ना मेंह बरसै, ना बटती ईब सुहाली ।
कहै 'भारती' पेड़ लगाओ, फेर घुटै घटाये काली ।
Sawan ki teej par kavita.
साम्मण की रुत आ गई, गावै मेघ मल्हार ।
छम छम बरसै बादळी, रिमझिम पड़ै फुहार ।
रिमझिम पड़ै फुहार, चली सीळी पुरवाई ।
मन म्ह जागा प्यार, याद बालम की आई ।
सखियाँ झूलै झूल, पहरकै चोली दाम्मण ।
बिन बालम कै देख, बीतरा मेरा साम्मण ।
बादल बरसे खूब ये, लगे नाचणे मोर ।
हरियाली छाई धरा, आज देख चहुँओर ।
आज देख चहुँओर, शोर ये दादुर करते ।
बदरा अपणे ढंग, रंग जीवन में भरते ।
कहै भारती खूब, बदलता मौसम पल पल ।
लाये गजब बहार, धार से बरसे बादल ।
तीतर पंखी बादळी, आये जब नभछोर ।
लगे पपीहा बोलणे, नाचण लगते मोर ।
नाचण लगते मोर, शोर करती पुरवाई ।
खोले चातक चोंच, सोच ये बरखा आई ।
बदळी बरसै खूब, मिटाणे को भड़भंखी ।
बरखा करै जरूर, मेघ ये तीतर पंखी ।
आवै जब जब सामण, ये मेघा लागै बरसण ।
नई लाव की घाल झूल, झूलै गौरी गजबण ।
बैठ पींग की पाटड़ी, बैरण झोटा ले लंगर का ।
तोड़ै नाक सासू का, मन राजी हो अंदर का ।
तीज्या के त्योहार पै, शकरपारा गुलगुला भावै ।
भूवा-भाण बी राजी होज्या, जब घर घर कोथली आवै ।
उम्मीद करते है आज की कविताओं ( सावन पर कविता । Sawan ki teej par status in hindi ) आनन्द पूर्वक पढा होगा । आप अपने विचार कमेंट बॉक्स में लिखे ।। भूपसिंह 'भारती'।।
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